Importance of practical learning!

nishakadakia

In today’s world where everything is so visual and interactive, then
why in terms of education we dont give much emphasis to practical learning?
Just by reading something, one doesn’t understand how things work. For
instance, if you want to learn to ride a bicycle, you would have to sit on the
cycle and ride, if you read a manual on riding a bicycle, you will never be
able to ride it.

Same thing holds true when it comes to teaching concepts in schools.
So, it is essential for us to change our teaching methodology by adding more
practical sessions.

Practical and hands-on learning helps children to innovate and encourage self-learning among them. It also gives a break from monotonous lectures.

Previously, people like Albert Einstein, Galileo Galilei, etc first experimented and then based on the results documented their findings.

Which means earlier education was more of practical  learning and…

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My Poem – Raat Kaali he

रात काली हे पर इतनी भी नहीं की राह न दिखाई दे !
अभी कुछ चिराग़ों में रौशनी बाकी हे !!
शरीर थक कर गिर गया तो क्या !
मेरे होशलों में अभी जान बाकी हे !!

Ashok Sharma

My Poem: Andhkaar he Andhkaar he

अँधकार हे, अँधकार हे चारों तरफ अँधकार हे!
बन सूरज की मैं किरण गिरूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ! अँधकार हे…
क्या हाल हे बेहाल हे, ये धरा बनी अँगार हे!
बन कर शीतल बौछार गिरूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ! अँधकार हे…
उड़ जायेगा, मिट जायेगा, ये बृक्ष नहीं टिक पायेगा!
दुराचार की आँधी में, मैं कैसे इसकी ढ़ाल बनूँ!
ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ!
अँधकार हे, अँधकार हे चारों तरफ अँधकार हे! अँधकार हे, अँधकार हे…

Ashok Sharma

My Poem – Ye Swatantrata ka sangram naya he

ये स्वतंत्रता का संग्राम नया हे,
लोग नये, आयाम नया हे. ये स्वतंत्रता…
हवाओँ में घुला उद्घोष नया हे,
चाह नई, उद्देश नया हे, ये स्वतंत्रता…
तब तो ग़ैर था दुष्मन हमारा,
आज अपना बनकर शत्रुः खड़ा हे,
इधर राम खड़ा, उधर लक्ष्मण खड़ा हे, ये स्वतंत्रता…
रण नया, हथियार नया हे, ये स्वतंत्रता का संग्राम नया हे-2

Ashok Sharma

Meri Kuchh Krantiwadi Shayeriyan

देखो इंडिया जाग रहा हे, ताकत अपनी पहचान रहा हे !
समय हे अब भी सुधार सको तो सुधार लो खुद को !
अब तूफ़ान ये उमड़ रहा हे, देखो इंडिया जाग रहा हे !!

Ashok Sharma

My Poem – Main Aas Lagaye Baitha Hun…

मैं आस लगाये बैठा हूँ, एक उम्मीद जगाये बैठा हूँ !
इन तूफानी राहों में, मैं दीप जलाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
कहीं अपनों के लुट जाने कि पीर सही हे मैंने !
कहीं अपनों के आँसूं कि बौछार सही हे मैंने !
दबी हुई सी पर सबने आवाज़ आज उठाई हे !
उस आवाज़ से आवाज़ मिलाने, मैं विगुल उठाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
भ्रष्टाचार रूपी दानव ने देखो क्या आतंक मचाया हे !
अत्याचार और दुराचार ने हमको बड़ा सताया हे !
इन दानवों का वध करने मैं घात लगाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
मिटा इसे देना हे मिट कर भी, मार इसे देना हे मर कर भी !
विजय पताका लहराने को मैं प्रण उठाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…

Ashok Sharma

Mrei Kuchh Dukh Bhari Shayeriyan

जाने कब एक ग़म ज़िंदगी भर कि खुशियाँ भुला गया !
यूँ तो हर गम जीने का वादा किया था खुदा से !
पर जाने कब ग़म हमको जीना भुला गया !!

चाहे लाख मजबूत हो रिश्तों कि डोर !
चाहे बिन उनके जीना बेमानी लगता हो !
पर ज़िंदगी बड़ी खुदगर्ज़ हे यारों !
मर कर भी जीने को मज़बूर करती हे !!

Ashok Sharma

My Poem – Jab Bhookh Se Bilakh Raha…

जब भूख से बिलख रहा देश का गरीब हो !
ज़िंदगी से कोसों दूर मौत के करीब हो !
तो दिल मेरा पुकार उठे, और मुझसे वो यही कहे !
कि अब नहीं बिलम्ब करो, तुम ऐसा कुछ प्रबंध करो !
कि पड़ सके और उठ सके, और सम्मान से वो जी सके !
अब न अत्याचार हो, न उसका तिरस्कार हो !
प्रहार हो ग़रीबी पर, ग़रीबों का उत्थान हो !!
अब दिल मेरा पुकार उठे, और मुझसे वो यही कहे !
कि फ़ीकी हे ये राष्ट्रगाथा, फ़ीका हे ये राष्ट्रगान !
कलंक ग़रीबी का नहीं मिटता तब तक, फ़ीकी हे भारत कि शान -२ !!

Ashok Sharma

My Poem – Bade armaano se humne

रातों कि नींदें दे दीं तुझको, दिल का चैन गवाया हे !
बड़े अरमानों से हमने यारों, ये अरमान सजाया हे !!
हर मोड़ पर हमको लूटा सबने, हर पल हमें सताया हे !
जो विश्वास हम खो चुके थे, अब वो विश्वास जगाया हे !
बड़े अरमानों से हमने यारों, ये अरमान सजाया हे !!
लाख उँगलियाँ उठे तुझ पर, चाहे लाख मुश्किलें आयें !
कदम न डगमगायें तेरे, चाहे तूफ़ा तुझसे टकराए !
लोहा लेने गद्दारों से, तुझको हथियार थमाया हे !
बड़े अरमानों से हमने यारों, ये अरमान सजाया हे -२ !!

Ashok Sharma

My Poem – Pal do pal ke saath ko

अर्ज़ किया हे, कि पल दो पल के साथ को हम जन्म भर का समझ बैठे !
न जाने वो क्या कह बैठे, न जाने हम क्या समझ बैठे !!
कि पल दो पल के साथ को.…
बड़े अरमानों से मोहब्बत कि शम्मा जलाई थी हमने !
वो शम्मा जो बुझा बैठे, हम अपना दिल जला बैठे !!
कि पल दो पल के साथ को.…
सुना था मोहब्बत आबाद करती हे, मुरझाये हुए दिलों को गुलज़ार करती हे !
दिले गुलशन के सपने सजाये थे हमने,
वो हमें बर्बाद कर बैठे, हम ग़मे आबाद कर बैठे !!
कि पल दो पल के साथ को.…
एक तरफ़ा मोहब्बत को मंज़िल नहीं मिला करती !
परवाना लाख चाहे उसे शम्मा नहीं मिला करती !
हम उन्हें यूँही अपनी मंज़िल बना बैठे, न समझ थे, हाय हम ये क्या कर बैठे !
कि पल दो पल के साथ को.…

Ashok Sharma