वो उंगली उठाते हें हम पर, इनायत उनकी !
हम अंजाम तक यूँ ही नही पहुँचे हें यारों
इसके पीछे रही हे मेहनत उनकी !!
आँखों में नींद हे मग़र, मै सो नहीं पाता हूँ !
ऐ रात सिमट जा कुछ पलों में तू, कि मै यूँही जागता चला जाता हूँ !!
बुनियाद हमारी कमजोर नहीं, जो हिल जाये हवा के झोंकों से !
अटूट अटल विश्वास हे ये,
तोड़ नहीं सकते इसे वो लोग, जो बिक जाते हें पैसों से !!