रात काली हे पर इतनी भी नहीं की राह न दिखाई दे !
अभी कुछ चिराग़ों में रौशनी बाकी हे !!
शरीर थक कर गिर गया तो क्या !
मेरे होशलों में अभी जान बाकी हे !!
Ashok Sharma
रात काली हे पर इतनी भी नहीं की राह न दिखाई दे !
अभी कुछ चिराग़ों में रौशनी बाकी हे !!
शरीर थक कर गिर गया तो क्या !
मेरे होशलों में अभी जान बाकी हे !!
Ashok Sharma
अँधकार हे, अँधकार हे चारों तरफ अँधकार हे!
बन सूरज की मैं किरण गिरूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ! अँधकार हे…
क्या हाल हे बेहाल हे, ये धरा बनी अँगार हे!
बन कर शीतल बौछार गिरूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ! अँधकार हे…
उड़ जायेगा, मिट जायेगा, ये बृक्ष नहीं टिक पायेगा!
दुराचार की आँधी में, मैं कैसे इसकी ढ़ाल बनूँ!
ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ, ऐ ख़ुदा बता मैं क्या करूँ!
अँधकार हे, अँधकार हे चारों तरफ अँधकार हे! अँधकार हे, अँधकार हे…
Ashok Sharma
ये स्वतंत्रता का संग्राम नया हे,
लोग नये, आयाम नया हे. ये स्वतंत्रता…
हवाओँ में घुला उद्घोष नया हे,
चाह नई, उद्देश नया हे, ये स्वतंत्रता…
तब तो ग़ैर था दुष्मन हमारा,
आज अपना बनकर शत्रुः खड़ा हे,
इधर राम खड़ा, उधर लक्ष्मण खड़ा हे, ये स्वतंत्रता…
रण नया, हथियार नया हे, ये स्वतंत्रता का संग्राम नया हे-2
Ashok Sharma
देखो इंडिया जाग रहा हे, ताकत अपनी पहचान रहा हे !
समय हे अब भी सुधार सको तो सुधार लो खुद को !
अब तूफ़ान ये उमड़ रहा हे, देखो इंडिया जाग रहा हे !!
Ashok Sharma