My Poem – Raat Kaali he

रात काली हे पर इतनी भी नहीं की राह न दिखाई दे !
अभी कुछ चिराग़ों में रौशनी बाकी हे !!
शरीर थक कर गिर गया तो क्या !
मेरे होशलों में अभी जान बाकी हे !!

Ashok Sharma