देखो इंडिया जाग रहा हे, ताकत अपनी पहचान रहा हे !
समय हे अब भी सुधार सको तो सुधार लो खुद को !
अब तूफ़ान ये उमड़ रहा हे, देखो इंडिया जाग रहा हे !!
Ashok Sharma
देखो इंडिया जाग रहा हे, ताकत अपनी पहचान रहा हे !
समय हे अब भी सुधार सको तो सुधार लो खुद को !
अब तूफ़ान ये उमड़ रहा हे, देखो इंडिया जाग रहा हे !!
Ashok Sharma
मैं आस लगाये बैठा हूँ, एक उम्मीद जगाये बैठा हूँ !
इन तूफानी राहों में, मैं दीप जलाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
कहीं अपनों के लुट जाने कि पीर सही हे मैंने !
कहीं अपनों के आँसूं कि बौछार सही हे मैंने !
दबी हुई सी पर सबने आवाज़ आज उठाई हे !
उस आवाज़ से आवाज़ मिलाने, मैं विगुल उठाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
भ्रष्टाचार रूपी दानव ने देखो क्या आतंक मचाया हे !
अत्याचार और दुराचार ने हमको बड़ा सताया हे !
इन दानवों का वध करने मैं घात लगाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
मिटा इसे देना हे मिट कर भी, मार इसे देना हे मर कर भी !
विजय पताका लहराने को मैं प्रण उठाये बैठा हूँ !! मैं आस लगाये बैठा हूँ…
Ashok Sharma
जाने कब एक ग़म ज़िंदगी भर कि खुशियाँ भुला गया !
यूँ तो हर गम जीने का वादा किया था खुदा से !
पर जाने कब ग़म हमको जीना भुला गया !!
चाहे लाख मजबूत हो रिश्तों कि डोर !
चाहे बिन उनके जीना बेमानी लगता हो !
पर ज़िंदगी बड़ी खुदगर्ज़ हे यारों !
मर कर भी जीने को मज़बूर करती हे !!
Ashok Sharma